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बीमार को चंगा करने तथा लंगड़े को चलनेयोग्य बनने के विषय में यीशु प्रसिद्ध था। इसलिए जब एक कोढ़ से गस्त मुनुष्य उसके पास सहायता मांगने आया, तब उस मनुष्य के विश्वास का प्रत्युत्तर यीशु ने दिया कि वह उसके रोगग्रस्त शरीर को चंगा करने में उसकी सहायता कर सकता है।
जब भीड़ देख रही थी तब यीशु ने उस मनुष्य को पूर्ण रीति से चंगा करने में प्रत्युत्तर दिया। अनेक लोगों ने जब अपनी आंखों से इस चंगा करनेवाले आश्चर्यकर्म को देखा तो वे अचम्भित हो गए। तब यीशु ने उस मनुष्य से अपना चंगा शरीर याजकों तथा मन्दिर के अगुवों को जाकर दिखाने को कहा जिससे उन्हें मालुम हो जाए कि उसके पास परमेश्वर की शक्ति है।
वहां से जाने के पश्चात् वह व्यक्ति अपनी खुशी छिपा नहीं सका और दौड़कर उसने अपने परिवार तथा मित्रों को बताया कि वह चंगा हो गया है। अब भविष्य में उसे अपने परिवार तथा अपने मित्रों से अलग रहने की जरूरत नहीं थी।
जब उस व्यक्ति के परिवार तथा मित्रों ने देखा होगा कि वह शुद्ध हो गया है और अपने घर लौट आया है तब आप सोचते हैं कि उन्हें कैसा अनुभव हुआ होगा?
क्या आप सोचते हैं कि उस मनुष्य की चंगाई के द्वारा उसके परिवार तथा मित्रों ने यीशु पर विश्वास किया होगा?
अपनी चंगाई के पश्चात् आपके परिवार से उस मनुष्य ने कोढ़ियों के शिविर में रह रहे अपने मित्रों के साथ कैसा व्यवहार किया होगा?
यदि आपके पास कोई बीमार व्यक्ति होता और यीशु आसपास ही होता तो क्या आप चंगाई के लिए उसे यीशु के पास ले जाते?
यह कहानी मरकुस 1: 39-45 में पढ़ने को मिलती है।
इस पुस्तक की समानान्तर कहानियां मत्ती 8:1-4 तथा लूका 5:12-16 में पाई जाती हैं। (मत्ती का संस्करण यीशु के पर्वतीय उपदेश का पालन करता है।)
यीशु उस कोढ़ी को स्पर्श करने के द्वारा शुद्धता की परम्परा को तोड़ता है। यह उस व्यक्ति और उसकी स्थिति के लिए यीशु की महान दया और करूणा का प्रतीक है तथा कोढ़ पर उसकी शक्ति का प्रतीक है।