यह डाऊनलोड वीडियो की ओर से है। वीडियो के अन्तर्गत ‘डाऊनलोड’ क्लिक करें तब अपने निश्चय का चुनाव करें।
यीशु यरूशलेम के मन्दिर के ओसारे (आंगन) से गुजार रहा था और उसका ध्यान एक बड़ी संख्या में उपस्थित उन व्यापारियों पर गया जो उस भीड़ से लाभ कमा रहे थे जो आराधना करने के लिए मन्दिर में जमा हुए थे। ये व्यापारी ग्राहकों को ठग रहे थे तथा गरीबों से जबरदस्ती पैसा ले रहे थे। जो कुछ यीशु ने देखा उससे क्रोध से भरकर उसने पैसे का लेनदेन करने वालों की मेज़े उलट दीं तथा दुष्ट दुकानदारों द्वारा बेचे जा रहे सामानों को उसने विथरा दिया।
इन गलत कार्यों के लिए फटकार लगाते हुए जो आनेवाले आराधकों को निशाना बना रहे थे, यीशु का सामना मन्दिर के याजकों से हुआ, उन्हें यह स्वीकार करने के लिए बताया गया वे मन्दिर में ‘डाकू’ हैं जो गलत है तथा उन्हें रोके जाने की आवश्यकता है।
यीशु की इस प्रतिक्रिया से एक व्यापारी अत्यन्त प्रभावित हुआ तथा उसने आराधना के सामानों को जिन्हें ग्राहक खरीदना चाहते थे उनके लिए ठगी और बेईमानी न करने का निर्णय लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि उसका व्यापार फलने- फूलने लगा तथा उसकी यह गवाही प्रगट हो गई कि कैसे उस दिन यीशु ने उसका जीवन बदल दिया था।
आप क्या सोचते हैं कि उन व्यापारियों को कैसा अनुभव हुआ होगा जब यीशु ने उनकी मेज़ें उलट दी थीं तथा उस क्षेत्र को डाकुओं की खोह कहा था?
अधिकांश लोग चुंगी या कर लेनेवालों को पसन्द नहीं करते थे किन्तु यीशु फिर भी जक्कई के घर जाना चाहता था। यीशु वहां क्या करने की आशा कर रहा था?
वे लोग जो दूर-दूर से यात्रा करके आते थे, उनके लिए यरूशलेम के मन्दिर में बलिदान करने के लिए पशुओं को खरीदना एक जरूरी कर्मकण्ड था। जब यीशु ने पैसों का लेनदेन करने वालों और चोरों की आलोचना की तब उन बाहर से आए लोगों को कैसा अनुभव हुआ होगा?
यह कहानी पुस्तक मरकुस 11: 12-19 तथा मत्ती 21:12-16 का संयुक्त रूप है।
मत्ती पुराना नियम के तीन स्थल (जिन्हें इस कहानी पुस्तक में शामिल गया है) उपयोग करता है जो मसीह की भविष्यवाणी के पूरा होने पर बल देते हैं।
यीशु द्वारा मन्दिर में सफाई का यूहन्ना का संस्करण (यूहन्ना 2:12-25) इस कहानी में इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह भी ध्यान दीजिए कि यूहन्ना इस कहानी को अपने सुसमाचार आरम्भ में रखता है मत्ती और मरकुस के समान सुसमाचार के अन्त में नहीं।