परमेश्‍वर की बुद्धि

सुलैमान एवं दो माताएं

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वीडियो के विषय में :

परमेश्वर के सुलैमान को अवसर दिया कि वह अपनी इच्‍छानुसार कुछ भी मांगे। सुलैमान परमेश्‍वर से धन सम्पति तथा आदर सम्मान भी मांग सकता था। इसके स्थान पर उसने ईश्वरीय बुद्धि मांगी जिससे वह राज्य के विषय में शासन करते समय बुद्धिमत्‍तापूर्ण निर्णय ले सके।

सुलैमान द्वारा की गई इस बिनती के कुछ समय पश्चात् दो स्त्रि‍यों ने एक कठिन समस्या का समाधान करने के लिए उससे सलाह मांगी। दोनों स्त्रियों के पाए एक-एक नवजात बच्चा था, किन्तु उनमें से एक तीन दिन का बच्चा मर गया। दोनों स्त्रियों दावा कर रही थी कि जीवित बच्चा उसका है। सुलैमान के सामने यह एक अत्यन्त असम्भव कार्य था। उसे इस रहस्य को सुलझाना था कि उस नवजात शिशु की असली माता कौन थी।

सुलैमान ने सुझाव दिया कि जीवित बच्चे को दो भागों में काट दिया जाए जिससे प्रत्येक माता को आधा-आधा हिस्सा मिल जाए। जिसने भी यह सुझाव सुना उससे इसे पागलपन और बेतुका समझा। लेकिन क्‍योंकि उसे परमेश्वर द्वारा बुद्धि का वरदान मिल था, अतः उसे मालुम था कि उसे इस भयानक निर्णय का पालन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह माता जिसने बच्चा चुराया था, वह स्वार्थी थी और उसने सुलैमान को इस घृणित कार्य को करने में सह‌म‍ति जताई। किन्तु असली माता अपना बच्चा जीवित बच्चा जीवित बचाने के लिए व्याकुल हो गई और बच्चा त्यागने के लिए तैयार हो गई।

बुद्धिमान सुलैमान जानता था कि असली माता अपना बच्चा बचाने के लिए कुछ भी कर सकती थी। सुलैमान की महान बुद्धि‍ ने बच्चे का प्राण बचा लिया, और उसने वह बच्चा उसकी वास्तविक माता को सौंप दिया।

विचार करने योग्‍य प्रश्न :

  1.  सुलैमान ने क्यों परमेश्वर से बुद्धि मांगी?

  2. बालक की असली माता का निश्चय करने के लिए सुलैमान ने अपनी बुद्धि का कैसे उपयोग किया?

  3. सुलैमान ने जब बच्चे को दो हिस्सों में काटने की आज्ञा दी, तब उस बच्चे की माता को कैसा अनुभव हुआ होगा?

  4. यदि परमेश्वर आपसे कुछ भी मांगने को कहे तब आप उससे क्‍या मांगेंगे? क्यों?

कहानी की पृष्‍टभूमि :

  • सुलैमान, दाऊद राजा का पुत्र था। दाऊद विश्वासयोग्य था तथा परमेश्वर के नियमों का पालन करता था। दाऊद ने हमेशा उचित कार्य नहीं किए किन्तु जब उसने कोई गलती की तो वह इतना विनम्र था कि उसने परमेश्वर से क्षमा मांगी। दाऊद को इस्राएल राष्ट्र का सर्वोत्तम तथा सर्वाधिक विश्वासयोग्‍य राजा के रूप में जाना जाता था।

  • सुलैमान भी विश्वासयोग्य होना चाहता था तथा परमेश्वर के नियमों का पालन करना चाहता था। उसने दाऊद से सीखा था कि एक राजा बनना तथा परमेश्वर के नियमों का पालन करना अत्यन्त कठिन है, और सुलैमान जानता था कि एक विश्वासयोग्य राजा बनने के लिए उसे बुद्धि की आवश्यकता थी।

  • • परमेश्वर ने सुलैमान को बुद्धि दी, किन्तु परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य होने के लिए सुलैमान को स्वयं चुनाव करना था। जब सुलैमान से बुद्धि, धन तथा सम्मान की प्रतिज्ञा परमेश्वर ने की तब परमेश्वर ने उससे कहा, ‘‘फिर यदि तू अपने पिता दाऊद के समान मेरे मार्गों में चलता हुआ, मेरी विधियों और आशाओं को मानता रहेगा तो मैं तेरी आयु को बढ़ाऊंगा।’’ (1 राजा 3:14) बाद में हम सुलैमान की कहानी से सीखते हैं कि वह परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य नहीं है। जो उसे बुरे निर्णय लेने तथा भयानक परिणामों के लिए आगे ले जाएंगे।

हवाला - 1 राजा 3:1-28